आप कोरे कागज़ पर क्या बनाते हैं …..?
आप कोरे कागज़ पर क्या बनाते हैं …..?
जिस तरह एक किसान जो फसल पाना चाहता है उसे अनुकूल मौसम में बोता है और उसकी हर जरूरत को पूरा करता है | कीड़ों से बचाने के लिए उचित कीटनाशक का भी उपयोग करता है | हर दिन उसका बारीखी से निरक्षण करता है जिससे कि उसकी आँखों से कोई चीज़ छिपी न रहे | यधपि उसका मकसद 2-4 महीने में ज्यादा से ज्यादा अच्छी फ़सल पैदा कर उससे मुनाफ़ा कमाना होता है फिर भी एक बीज से फसल पकने तक के सफ़र में हर अच्छा परिणाम उसके दिल को एक अलग सी ख़ुशी से भर देता है जिसे शब्दों में बयान नहीं किया जा सकता |
आप सोच रहे होंगे कि मैं फसलों और पेड़-पौधों को बीच में क्यूँ ला रहा हूँ जबकि यहाँ तो सिर्फ बच्चों के बारे में ही बात होनी चाहिए , है ना …? वो इसलिए क्यूंकि मैं आपको ये बताना चाहता हूँ कि किसान और फ़सल का साथ 2-4 महीने का होने के बावजूद वो उसकी हर तरह से देखभाल करता है जिसमें फ़सल और निखार पा सके | परन्तु क्या हम हमारे जीवन की अमूल्य पूंजी जो हमारे जीवन भर की साधना का परिणाम हैं यानिकी हमारे बच्चों का पालन-पोषण भी इसी तरह ईमानदारी से कर रहे हैं …? पुस्तक के इस शुरुवाती पड़ाव में शायद आपको मेरी ये बात बहुत कड़वी और ग़लत महसूस हो रही होगी | परन्तु मैं आपको यकीं दिलाता हूँ कि जैसे-जैसे आप इस क़िताब के साथ आगे बढ़ते जायेंगे एक-एक करके आपके ये सारे भ्रम खुद-ब-खुद टूट जायेंगे |
ध्यान रहे कि हमारे बच्चे कोई फसल नहीं हैं जिन्हें कुछ महीने या साल पाल कर हम खूब सारे पैसे बटोरने के बारे में सोचते हों | अपने दिल पर हाथ रखकर ज़रा सोचने की कोशिश कीजिये कि क्या जब आपका बच्चा पहली बार आपकी गोद में आया और उसने जीवन का सफ़र शुरू करने के लिए अपने नन्हें-नन्हें कोमल पैर ज़मीन पर रखे तो क्या आपके दिल के किसी कोने में भी ये लालच था कि ये बच्चा कभी मुझे कुछ कमा कर देगा या बड़े होकर मेरी खूब सेवा करेगा ? नहीं ना….! दरअसल आप तो बस उसे खूब प्यार देना चाहते हैं उसकी तोतली बोली के सामने आपको दुनिया का सर्वश्रेष्ठ संगीत भी फीका दिखाई देता है | हमारा लक्ष्य तो केवल जीवन के हर क्षेत्र में उसे एक सफ़ल इंसान के रूप में देखना होता है | एक ऐसा इंसान जिसपर सभी गर्व कर सकें |
छोटे बच्चे का दिमाग कोरे कागज़ की तरह होता है | उसके पास अपना कोई अनुभव नहीं होता | माता-पिता ही बच्चे के पहले गुरु होते हैं | वो इस कोरे कागज़ पर दुनिया की जैसी तस्वीर बनाते हैं उसी के हिसाब से बच्चे का दिमाग विकसित होता है | जिससे वो सही ग़लत का निर्णय लेना शुरू करता है | उदाहरण के लिए बच्चे को अनजाने में डर का एहसास सबसे पहले आप ही करवाते हैं जब उसे भूत आने का डर दिखा कर कुछ करने के लिए प्रेरित करते हैं या अँधेरे में जाने से रोकते हैं |
Its going to be ending of mine day, but before finish I am reading this great paragraph to improve my knowledge. Bonnee Neddie Foss
Really enjoyed this post. Really thank you! Keep writing. Wendy Bogart Watters
Hi there, for all time i used to check blog posts here early in the morning, for the reason that i love to gain knowledge of more and more. Brandise Giacomo Bushweller
I am truly grateful to the owner of this web page who has shared this great paragraph at at this time. Elaine Jarib Milo
Some truly prime articles on this web site , saved to fav. Chiquia Octavius Elvie
I just like the helpful information you supply to your articles. Griselda Murray Him
writing a valedictorian speech college essay grader writing the research proposal
Excellent way of telling, and pleasant article to take data concerning my presentation topic, which i am going to convey in academy. Andra Bronny Goodman