सूखे फूलों में छिपी बचपन की यादें
आज खोली क़िताब इक मैंने जो मेरे बचपन की, सूखे फूलों को देख के खिल गईं यादें बचपन की, भूले
Read moreशायरी, नज़्म, कविता, गीत और ग़ज़लों के ज़रिये मन की बात
आज खोली क़िताब इक मैंने जो मेरे बचपन की, सूखे फूलों को देख के खिल गईं यादें बचपन की, भूले
Read moreज़िक्र आते ही किसी दीवाने का महफ़िल में तेरी आँखों ने मुझे झट से गिराया होगा बीती बातों को, अपने
Read moreआज जो थामा हाथ किसी का मदद को उसकी बिना स्वार्थ के तब जाकर एहसास हुआ ये लहू रगों का
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